Friday 23 September 2016

अघोर

अघोर को मान सम्मान मोह छल कपट माया मोह ज्ञान ध्यान स्त्री पुरुष जल थल जीवित मृत मन अमन किसी भी परिस्थिति का भान नहीं होता। वह दोगलेपन के झूले पे नहीं झूल सकता ,वो भाषा ही भुला जाता ।वह एकदम बाल रूप रहता हमेशा ।जैसे बालक ज़रा सी बात के रूठ जाता जरा सी देर में खिलखिला के हँसने लगता वो बात ही दूसरी हो जाती जिसने गुस्सा करा उसे।अब वो व्यक्ति वो पल वो बात सब समाप्त हो जाती है भुला ही दिया जाता की कुछ हुआ था।ऐसा दुर्लभ अघोर मिलना अत्यंत दुर्लभ है और ऐसे दुर्लभ चित्त की अवस्था की प्राप्ति अत्यंत आनंददायक है।इस अवस्था की अत्यंत आनंदित तरंगो में डोलना एक क्षितिज से दुसरे क्षितिज, परम की मुस्कराहट धारण कर लेता है।ऐसे अघोर चित्तावस्था प्राप्त होने में किसी भी काले रंग काले शब्द काले चित्त से कोई भी सम्बन्ध नहीं है।यह ऐसी परम अवस्था है जो ध्यान के मार्ग से भी सुगम है तंत्र के मार्ग से भी।इस अवस्था का किसी भी एक मार्ग या एक पंथ से ईश्वरीय निर्धारण नहीं है

https://www.youtube.com/watch?v=tMmGjVtZQ7U

साधना की प्यास

भीतरी खालीपन भरने की अनंत खोज अनंत से शुरू हो अनंत पे समाप्त होने की अज्ञात यात्रा के एक पड़ाव पर साधना के मनमोहक जगत में प्रवेश करती,जहाँ एक नया मायाजगत शुरु हो जाता जहाँ एक साधना से दूसरी साधना की मृगरीचिका खींचती हुई ले जाती उस खालीपन के एक दुसरे आयाम में जहां वह देखती जिसे वो खालीपन समझ के भाग रही थी वो खालीपन ही भराव है ,भराव है शून्य का उसी न होने में ही सर्वस्व पाने का आनंद है।उसी न होने की जागृति में जागना घट जाता ,उसी न होने में सर्वस्व पाना हो जाता ,उसी न होने के ज्ञान में गीता का किसी कृष्ण से प्रादुर्भाव होता।यह साधना की सीढ़ी वही ले जाती जहाँ से शुरुआत हुई।आना वहीँ है क्यों की कहीं जाना नहीं है।

https://www.youtube.com/watch?v=p-o_ocSc1rM

Thursday 15 September 2016

Death Of Mind

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1387339577947577&substory_index=0&id=1348780795136789https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1387339577947577&substory_index=0&id=1348780795136789

Monday 5 September 2016

Meditation camp in Kankhal Haridwar

https://www.facebook.com/events/1672925006359992/?ti=cl